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तू इंच-इंच चल के देख

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तू इंच-इंच चल के देख

हार एक विराम नहीं
जीत अंत मात्र नहीं
तू इंच इंच चलके देख
स्वयं का ढाल बनके देख
समाज में क्यों खड़ा
संदेह मात्र से घिरा
तलवार की धार पे
स्वयं को नकार दिया ?
फिर स्वयं को व्यक्त कर
भीतरी अभिव्यक्ति को जरा सा तप्त कर
भीड़ से है तू डरा
या भेड़चाल में घिरा
खुद का मार्ग प्रशस्त कर
संकल्प का विचार कर
तू द्वंद्व को पार कर
स्वयं का सूत्रधार बन
विचार कर! विचार कर!
तू कुरीतियों पे वार कर
इंच इंच चलके देख..
स्वयं का ढाल बनके देख