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किसी का सरल स्वभाव उसकी कमज़ोरी नहीं बल्कि उसके संस्कार होते हैं
रोटी सेंकती पत्नी से हँसकर कहा मैंने अगला फुलका बिल्कुल चंद्रमा की तरह बेदाग़ हो तो जानूँ उसने याद दिलाया बेदाग़ नहीं ...और पढ़ें
चाहे पथ में शूल बिछाओ चाहे ज्वालामुखी बसाओ, किंतु मुझे जब जाना ही है तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा ...और पढ़ें
कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय, पंगा ...और पढ़ें
बिंब नहीं प्रतीक नहीं तार नहीं हरकारा नहीं मैं ही कहूँगा क्योंकि मैं ही सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ मेरी पीठ पर मे ...और पढ़ें
प्रिय सुधि भूले री मैं पथ भूली! मेरे ही मृदु उर में हँस बस, श्वासों में भर मादक मधु-रस, लघु कलिका के चल परिमल से व ...और पढ़ें
एक दिन अकस्मात एक पुराने मित्र से हो गई मुलाक़ात कहने लगे- "जो लोग कविता को कैश कर रहे है वे ऐश कर रहे हैं लिखने व ...और पढ़ें
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