Loading...

सबके हिस्से में नहीं आता

1
सबके हिस्से में नहीं आता

सबके हिस्से में नहीं आता

सबके हिस्से में नहीं आता
ये ज़मीं, ये आसमां,
ये खुशी, ये मुस्कान,
रोटी, कपड़ा और मकान
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये ऐतबार, ये प्यार,
ये आंसू, ये इंतज़ार,
सुकून भरा एक इतवार
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये मंज़िल, ये रास्ता, ये सफ़र,
ये रात, ये शाम, ये सहर,
हाथ पकड़ के चले, वो हमसफर
सबके हिस्से में नहीं आता।

बेशक ये किसी कहानी
किसी किस्से में नहीं आता,
के ज़िंदगी तो मिलती है, मगर जीना
सबके हिस्से में नहीं आता।